करोड़ों रुपए कीमती कपड़े की दुकान अकेले हड़पने की खातिर गहरी साज़िश रचकर राजेन्द्र अग्रवाल और उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा ने की है पिता स्व श्री दामोदर दास की हत्या

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जालौन (उरई) – मंदिर मे भगवान की मूर्ति के समक्ष तिलक लगाए इस दम्पति राजेन्द्र अग्रवाल और उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा अग्रवाल पर उनके ही अनुज भाई द्वारा लगाए गए सनसनीखेज आरोपों को जब जालौनवासी जानेंगे तो उन्हें सहसा यकीन नहीं होगा।कि यह दम्पति करोड़ों रूपए कीमती कपड़े की दुकान अकेले हड़पने की खातिर एक साज़िश रचकर अपने वृद्ध पिता को असहाय,अकेला कर हत्या भी कर सकता है।
उप्र के न्यायप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,डीजीपी, डीआईजी झांसी और पुलिस अधीक्षक जालौन को भेजे गए शिकायती पत्र मे राजेन्द्र के सगे छोटे भाई सुरेन्द्र अग्रवाल ने बेहद सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।

A-करोडो रुपए कीमत की कपडे की दुकान अकेले मिलने की जिद मे आए दिन कलह करते थे राजेंद्र और उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा :-

चार पृष्ठ के शिकायती पत्र के अनुसार जालौन क्षेत्र मे प्रतिष्ठित नागरिकों मे शुमार किए जाने वाले स्व श्री दामोदर दास अग्रवाल की बैठगंज जालौन मे करोड़ो रुपए कीमत की एक कपडे की दुकान थी। उनके चार पुत्र हैं।
राजेन्द्र व उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा कपड़े की दुकान को वसीयत मे अकेले उन्हें लिखने की जिद मे रोज घर मे कलह मचाए रहते थे। उन दोनों के बहुत कलह के बावजूद पिताजी अपनी शेष संतानों के साथ अन्याय नहीं करना चाह रहे थे

B-हर कोशिश नाकाम होने पर राजेन्द्र व ज्योति ने रची गहरी साज़िश/ बैड रेस्ट कर रहे वृद्ध पिता का सिर फोड़कर किया लहुलुहान:-

जब उनकी सब कोशिश नाकाम हो गई,तब आखिर मे राजेन्द्र और उनकी पत्नी ने एक बेहद ख़तरनाक साज़िश रची। जिसके तहत 23 नवंबर 1996 को बैड रेस्ट पर घर पर आराम कर रहे पिताजी व माताजी से राजेन्द्र की पत्नी ज्येति ने अपनी साजिश को अंजाम देकर लडने आ धमकी।
माताजी ने बार बार पिताजी की तबीयत का हवाला देकर ज्योति से अपने पोर्सन मे जाने की मिन्नतें की। परन्तु ज्योति ने फोन कर राजेन्द्र को भी घर बुला लिया।
इसके बाद इन दोनों ने पिताजी से गाली गलौज कर हाथापाई शुरू कर दी। राजेन्द्र पिता जी को बुरी तरह पीटने लगे। उक्त दोनों ने पिताजी का सिर बार बार दीवाल मे मारकर सिर फोड़कर उन्हें लहुलुहान कर दिया। बाद मे जालौन के एक कम्पाउंडर ने उनके सिर पर पट्टी बांधी।

C– हत्या की योजना को अंतिम रूप देते हुए बहला फुसलाकर कर पिता को ले गए कानपुर/जबरन करा दिया रीजेंसी के आईसीयू मे भर्ती/किसी अन्य भाई को न दी सूचना,न कानपुर बुलाया :-

दो दिन बाद यानी 25 नवम्बर को पिताजी की हत्या की साजिश को अंजाम देते हुए राजेन्द्र बहला फुसलाकर पिताजी को चैकअप के बहाने कानपुर ले गए। राजेन्द्र ने पिताजी को कानपुर मे बन्धक बना लिया और कार्डियोलॉजी ले जाने के बजाय रीजेंसी हास्पिटल ले गए।
राजेन्द्र ने शेष तीन भाइयों को बुलाए या सूचित किए बगैर पिताजी की इच्छा के विरुद्ध जबरईं दिखाते हुए पिताजी को बड़ी बडी मशीनो के बीच आईसीयू मे भर्ती करवा दिया।
D-वृद्ध पिता को पूरे परिवार से दूर असहाय, अकेला कर राजेन्द्र ने मार डाला :-

वृद्ध पिता जो केवल चैकअप कराने गए थे। उन्हे जबरन आईसीयू मे भर्ती करवा कर पूरे परिवार से दूर असहाय,अकेला छोड दिया। बकौल राजेन्द्र उन्हें सुबह बताया गया कि रात्रि के किसी प्रहर मे पिताजी ने दम तोड दिया।

इस तरह राजेन्द्र व ज्योति ने गहरी साज़िश रचकर वृद्ध पिता को असहाय,अकेला कर मार डाला।

E-पिताजी की हत्या के बाद दुकान अकेले हड़पने का खेल आया सामने/अपूर्ण अपंजीकृत कूटरचित दस्तावेज को बताया पिताजी की वसीयत:-

  साज़िश के तहत पिताजी को पूरे परिवार से दूर असहाय अवस्था मे मार डालने मे सफलता मिलने के बाद राजेन्द्र व ज्योति का अकेले दुकान हडपने का असली खेल सामने आया।

शिकायती पत्र के अनुसार स्व दामोदर दास मृत्यु पूर्व अपनी कोई वसीयत नहीं कर गए थे। पिताजी की असामयिक मृत्यु से स्तब्ध व शोकाकुल परिवार के समक्ष राजेन्द्र ने एक अपंजीकृत व अपूर्ण दस्तावेज रखकर उसे पिताजी की वसीयत बताया लेकिन माताजी सहित सभी ने इसे झूठ व कूटरचित दस्तावेज बताकर मानने से साफ इंकार कर दिया।इस कथित वसीयत मे कपड़े की करोड़ों रुपए कीमती दुकान अकेले राजेन्द्र को दिए जाने की बात भी लिखी थी। 

F-छोटे भाई पवन अग्रवाल को कपड़े की दुकान का आधा स्वामित्व देने की शर्त पर अपूर्ण अपंजीकृत दस्तावेज को मान लिया गया वसीयत :-

  बड़े पुत्र होने के नाते राजेन्द्र व उनकी पत्नी ज्येति का पूरा होल्ड था। उन दोनों ने इस दस्तावेज को वसीयत मानने का बहुत दवाब बनाया। तब इस शर्त के साथ इस दस्तावेज को वसीयत मान लिया गया कि कपड़े की दुकान पर राजेन्द्र व छोटे भाई पलन अग्रवाल का आधा आधा हक रहेगा। दोनों के संयुक्त स्वामित्व मे दुकान संचालित होगी।इसके बाद दो पारिवारिक करीबियों के गवाहों के रूप मे हस्ताक्षर करवाए गए। दस्तावेज के लेखक से तिथि आदि भरवाई गई।

G-राजेन्द्र ने आश्चर्यजनक तेजी दिखाते हुए अनगिनत कागजो पर करवाए तीनों भाईयों से अनापत्ति के हस्ताक्षर/किसी अभिलेख की नहीं दी छायाप्रति :-

दस्तावेज को वसीयत के रूप मे माने जाने के बाद राजेन्द्र ने आश्चर्यजनक तेजी दिखाते हुए भागदौड़ प्रारंभ कर दी। सभी तीनों भाइयों से अनापत्ति के अनगिनत अभिलेखों पर आए दिन हस्ताक्षर लेने लगे। किसी भी कागज की फोटोकापी तक किसी भाई को नहीं दी।
H-अपने मनमुताबिक अभिलेख पक्के करने के बाद दुकान से पवन को भी हटा दिया दुकान से/ नाता तोड लिया माताजी और शेष सभी भाई-बहनों से :-

 पांच छह महीने मे जब उन्होंने हर काम अभिलेखीय रुप से पक्का कर लिया। तब फिर से कलह कर पवन को दुकान से हटा दिया। कुछ दिन बाद ज्ञात हुआ कि राजेंद्र ने पुनः धोखाधड़ी करते हुए कपड़े की दुकान पवन के साथ पार्टनरशिप फर्म के बजाय अपने स्वामित्व मे दर्शाकर पूरी तरह से हडप लिया।
  जब इस बात पर माताजी व अन्य सभी ने आपत्ति जताई तो इस दम्पति ने माताजी,शेष तीन भाईयों,चारो बहिनों से नाता तोड लिया।

I-गहराई से जानकारी लेने पर गहरी साज़िश के तहत पिताजी की हत्या का हुआ पूरा यकीन :-

करोड़ों रुपए कीमती कपड़े की दुकान अकेले हड़पने की खातिर राजेन्द्र और उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा द्वारा गहरी साज़िश रचकर पिताजी की हत्या किए जाने का शक तो मुझे बहुत पहले से था।
राजेन्द्र व उनकी पत्नी की कुटिल चालें जब अभी तक जारी है। तब मैंने पिताजी की मृत्यु के सम्बन्ध मे गहराई से जानकारी कई लोगों से प्राप्त कीं। तब मुझे पक्का यकीन हो गया कि करोड़ों रुपए कीमती कपड़े की दुकान अकेले हड़पने की खातिर राजेंद्र व उनकी पत्नी ज्येति उर्फ उमा ने बहुत गहरी साज़िश रचकर मेरे वृद्ध पिता स्व दामोदर दास की असहाय अकेला कर हत्या की है।

J- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की आशा मे की गई है शिकायत/राजेन्द्र व ज्योति उर्फ उमा पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की है मांग/ताकि दिवंगत पिता की आत्मा को मिले शांति :-

राजेन्द्र व ज्योति के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग के साथ प्रदेश योगी आदित्यनाथ जी से न्याय की आशा की गई है ताकि दिवंगत पिता की आत्मा को शांति मिल सके।

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