बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय की तानाशाही पूर्ण कार्यप्रणाली व नियमविरुद्ध निर्णयों के विरोध हुआ जबरदस्त जुलूस प्रदर्शन/ पीएम व सीएम को भेजा गया ज्ञापन

National Uttar Pradesh Uttarakhand

देहरादून- बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय की तानाशाही पूर्ण कार्यप्रणाली और नियमविरुद्ध निर्णयों से जबरदस्त विरोध की स्थिति पैदा हो गई। शीर्ष पंचायत श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी व अन्य वरिष्ठजनों के नेतृत्व में बद्रीनाथ धाम में जुलूस प्रदर्शन के साथ आंदोलन भी शुरू हो गया है। विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को मंदिर समिति के सीईओ के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया है।

     प्राप्त जानकारी के अनुसार  बद्रीनाथ धाम में श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय द्वारा मंदिर समिति के बोर्ड सदस्य और तमाम लोगों को अंधेरे में रखकर शासन द्वारा प्रख्यापित  सेवा नियमावली में बदरीनाथ धाम के पुजारी पदों पर सीधी भर्ती के विरोध को लेकर पुजारी समुदाय श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत द्वारा बद्रीनाथ धाम में मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के खिलाफ किए गए जबरदस्त जुलूस प्रदर्शन में सीईओ मंदिर समिति के माध्यम से सीएम और पीएम को ज्ञापन भेजे गए ।

    ज्ञापन के बाद अब बद्रीनाथ मंदिर के निवर्तमान रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी,  धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल, पूर्व धर्माधिकारी आचार्य जगदंबा प्रसाद सती,हक हकूक धारी पंचायत बामणी समेत माना थोक के अध्यक्ष व प्रधान पीतांबर मोल्फा, देवप्रयाग पंडा समाज के तीर्थ पुरोहित पंडित प्रमोद के साथ ही चार धाम महा पंचायत के उपाध्यक्ष  व  केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित पंडित संतोष त्रिवेदी, काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी के महंत अजय पुरी ने परंपराओं के संरक्षण के लिए डिमरी पंचायत को समर्थन जारी किया है। सभी ने एक स्वर में कहा कि सनातन धर्म में सभी व्यवस्थाएं मान्यता, परंपरा व रीति रिवाज पर ही आधारित है। यदि किसी भी प्रकार की परंपरा से छेड़खानी होगी तो इसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा।  

बद्रीनाथ धाम के पूर्व रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदिरी ने कहा कि रावल और डिमरी लोगों की बद्रीनाथ मंदिर वह सहवर्ती मंदिरों में पूजा एवं भोग बनाने का अधिकार की परंपरा आदि जगतगुरु शंकराचार्य के कालखंड से ही आरंभ हो चुकी थी।

डिमरी पंचायत के जुलूस प्रदर्शन के ठीक 1 दिन बाद डिमरी पंचायत द्वारा ही आयोजित बद्रीनाथ मंदिर परिसर में धार्मिक सभा के दौरान मंदिर के धर्माधिकारी आचार्य राधाकृष्ण थपलियाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि सनातन धर्म को जीवंत रखने के लिए परंपराओं को अक्षुण रखना बेहद जरूरी होगा।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय द्वारा परंपरागत पुजारी पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से बनाए गए नियमों को लेकर उठे बवाल के बाद धर्माधिकारी के इस बयान को महत्वपूर्ण ढंग से देखा जा रहा है। तीन दशक से भी अधिक समय तक बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक पद पर रह चुके पूर्व धर्माधिकारी आचार्य जगदंबा प्रसाद सती ने स्पष्ट तौर से शास्त्रीय प्रमाण के आधार पर डिमरी पुजारियों की परंपरा को आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व से आदि जगतगुरु शंकराचार्य की परंपरा के साथ की ही परंपरा को बताया।

सती का स्पष्ट तौर पर कहना है कि बद्रीनाथ मंदिर के जो सहवर्ती मंदिर है उनमें डिमरी पुजारी को ही पूजन अर्चन के साथ भोग बनाने का अधिकार अनादिकाल से है। बामणी पंचायत के साथ ही बद्रीनाथ मंदिर के हक हकूक धारी सीमांत गांव माना की पंचायत के प्रधान पीतांबर मोल्फा और देवप्रयाग पंडा पंचायत के तीर्थ पुरोहित प्रमोद भी स्पष्ट तौर पर बीकेटीसी के अध्यक्ष द्वारा परंपरा विरोधी नीति प्रख्यापित करने का विरोध करते हुए डिमरी पंचायत के समर्थन में उतरे गए हैं।

दूसरी ओर मंदिर समिति अध्यक्ष की परंपरा विरोधी नीति से आक्रोशित चारधाम महा पंचायत के उपाध्यक्ष व केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित पंडित संतोष त्रिवेदी व अन्य तीर्थ पुरोहितों ने इस अहम मसले पर गंभीर आपत्ति प्रकट करते हुए डिमरी पंचायत को अपना समर्थन दिया है। परंपरा विरोधी सेवा नियमावली प्रख्यापित करने को लेकर उठे बवाल के बाद अब मंदिर समिति के अध्यक्ष चारों ओर से घिरते नजर आ रहे हैं।

डिमरी पुजारी समुदाय की शीर्ष पंचायत श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी , उपाध्यक्ष भास्कर डिमरी, सचिव भगवती डिमरी, मूल पंचायत के सरपंच विजयराम डिमरी,सचिव मुकेश डिमरी आदि ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सबको धोखे में रखकर परंपरा विरोधी सेवा नियमावली प्रख्यापित करवाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। आशुतोष डिमरी ने कहा कि अभी हम किसी माध्यम से प्राप्त हुई सेवा नियमावली का बहुत ही बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं कि कई धार्मिक परंपरा से जुड़े पदों पर भी परंपरा विरोधी नीति की संभावना हो सकती हैं। आशुतोष डिमरी ने इस बात को फिर दोहराया कि मंदिर समिति के अध्यक्ष लगातार सरकार को और समाज को अपने झूठे बयानों से भ्रमित कर रहे हैं जो नियमावली प्रख्यापित हुई है उस नियमावली को बोर्ड मीटिंग में टेबल नहीं किया गया है।

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