(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून- यूनियन बैंक की लाडपुर देहरादून शाखा भारत सरकार के निर्बाध बैकिंग के निर्देशों की धज्जियां उडाकर ग्राहकों परेशान कर लंच पार्टी मे जुटी रहती है। अब इस मनमानी की शिकायत जोनल मैनेजर, लखनऊ को भेजी जा रही है।
1- दस से चार बजे तक निर्बाध बैंकिंग के आदेश की उडा रहे हैं धज्जियां:- भारत सरकार ने बैको मे ग्राहकों को सर्वोच्च वरीयता देते हुए नियम बनाया है कि सुबह 10 से चार बजे तक निर्बाध रुप से बैंकिंग कार्य जारी रहेगा। लेकिन यूनियन बैक की लाडपुर शाखा भारत सरकार के आदेशों को कोई अहमियत ही नहीं देती है।
2- दोपहर दो बजे मुख्य द्वार बन्द करके होती है लंच पार्टी– भले ही भारत सरकार का कोई आदेश हो। लाडपुर शाखा में दो बजे मुख्य द्वार की सिटकनी बन्द कर दी जाती है और पूरा स्टाफ एक साथ बैठकर लंच पार्टी करने मे जुट जाता है।
3- सीसीटीवी मे कैद होता है पूरा घटनाक्रम– अन्य बैंकों की भांति लाडपुर शाखा मे सीसीटीवी लगे हुए हैं। भारत सरकार के निर्बाध बैंकिंग के आदेशों की धज्जियां उडाकर लंच पार्टी करने का वाक्या प्रतिदिन सीसीटीवी मे कैद हो जाता है।
4-तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक गिरीश जोशी के खुले संरक्षण की चर्चाएं है जोरों पर;– भारत सरकार के निर्देशों की धज्जियां उडाकर ग्राहकों को देहरादून जैसे महानगर मे परेशान करना बगैर अनुचित संरक्षण के संभव नहीं है। यदि चर्चाओं पर भरोसा किया जाए तो तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक गिरीश जोशी का ऐसी मनमर्जी करनेवाले बैंक स्टाफ को खुला संरक्षण प्राप्त था। यह संरक्षण किन वजहों से दिया जाता था, इसे लिखने की शायद आवश्यकता नहीं है।
5-नए क्षेत्रीय प्रबंधक की कार्यशैली पर है नजर– यूनियन बैक मे नए क्षेत्रीय प्रबंधक ने संभवतया आज चार्ज ले लिया होगा। नए महोदय भारत सरकार के निर्देशों का पालन कराएंगे या नहीं। इस पर सभी ग्राहकों की नजर लगी हुई है।
6- जोनल मैनेजर को भेजी जा रही है शिकायत;- तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक के खुले संरक्षण के चलते पहले भी कई बार भेजी गई शिकायतों, आरटीआई आवेदनों पर प्रभावी पहल ही नहीं होती थी। इसलिए लाडपुर शाखा मे लंच पार्टी से प्रभावित ग्राहकों ने बताया कि इस कदाचार की शिकायत जोनल मैनेजर,लखनऊ को की जाएगी। इसके बाद भी यदि प्रभावी कार्यवाही न की गई तो रिजर्व बैंक के लोकपाल डिवीजन मे शिकायत की जाएगी।
7- जनहित में बैंकों का निजीकरण करना ही एकमात्र रास्ता- भारत सरकार ने कुछ बैंको का निजीकरण कर दिया। इस पर सरकारी बैंकों का स्टाफ कई बार आंदोलन कर चुका है लेकिन सरकारी बैंको के स्टाफ की ग्राहकों से दुर्व्यवहार की बढती शिकायतों से सभी बैंको का निजीकरण करना ही बेहतर विकल्प होगा।