श्रीमती संध्या पुरवार एवं डा हरीमोहन पुरवार के संयुक्त तत्वावधान में बुन्देलखण्ड संग्रहालय में मनाया गया विश्व संग्रहालय दिवस

National Uttar Pradesh

*संग्रहालयों से प्राचीन सांस्कृतिक चेतना के दिग्दर्शन होते हैं -डा अमरेन्द्र प्रोत्सायन

*संग्रहालय हमारी कला के संरक्षक हैं -इफ्तिखार अहमद, जिला कार्यक्रम अधिकारी

उरई। विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर इन्टैक उरई अध्याय, प्रान्तीय धरोहर समिति ( बुन्देलखण्ड कानपुर प्रान्त) संस्कार भारती तथा भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद शाखा के संयुक्त तत्वावधान में श्री मती सन्ध्या पुरवार व डा0 हरी मोहन पुरवार के निजी बुन्देलखण्ड संग्रहालय के सभागार में धूमधाम के साथ आज का दिवस मनाया गया। इस अवसर पर अपने जनपद के मृदुल स्वभाव वाले जिला प्रोबेशन अधिकारी डा अमरेन्द्र पोत्सायन ने शंख ध्वनि के बीच प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्पार्पण किया।

डा हरी मोहन ने मुख्य अतिथि डा अमरेन्द्र पोत्सायन जी तथा विशिष्ट अतिथि इफ्तिखार अहमद को अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया।वर्तमान समय में संग्रहालय की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुये डा0 पोत्सायन ने कहा कि संग्रहालय ऐसे शैक्षणिक पवित्र स्थल हैं जहां से हमें अपनी प्राचीन सांस्कृतिक चेतना के दिग्दर्शन होते हैं । इन संग्रहालयों के माध्यम से हमें अपने प्रचीन इतिहास तथा धरोहरों से प्रत्यक्ष साक्षात्कार होता है।

विशिष्ट अतिथि जनपद के कार्यक्रम अधिकारी इफ्तिखार अहमद ने कहा कि संग्रहालय हमारी कला के संरक्षक , उन्हें उजागर करने व उनपर फक्र करने का मौका देते हैं।
पुरवार दम्पति ने इस अवसर पर अपनी उरई से प्राप्त ईसा पूर्व 900 से ईसा पूर्व 2100 वर्ष पूर्व के विभिन्न ताम्र युगीन उपकरणों को प्रदर्शित किया तथा यह भी बतलाया कि इन उपकरणों की प्राप्ति से पूर्व वर्ष 1908 में डी एल ब्रोकमैन द्वारा लिखित जालौन गजेटियर के पुरातत्विक इतिहास पर की गई टिप्पणी को गलत प्रमाणित किया। ताम्र युगीन उपकरणों के साथ न्यू आईलैण्ड, थाईलैंड, मंगोलिया, भूटान , नेपाल, कुक आईलैण्ड, श्री लंका आदि देशों की द्वि आयामी, त्रि आयामी आदि विभिन्न विलक्षण मुद्राओं का भी प्रदर्शन किया गया।

आज के दिवस पर घरेलू उपयोग में आने वाली चूल्हा, चकिया के साथ विभिन्न प्रकार के बर्तन जैसे पुराने लोटे , गिलास, कद्दू, गुलाबपांस, लोहे की चिमनी युक्त प्रेस, पुरानी होली वाली पिचकारियाँ, पूजन में प्रयुक्त होने वाली आचमनियां, पंचपात्र, लालटेन, ढिबरी, लैम्पें, विशिष्ट टिफिन कैरियर, होंडा, प्रात, , तमियां, कलसिया , बाल्टी, , बैठने वाली चौकोर टिकट, लोहे के तीन सूती तार से बनी पुरानी कुर्सियां, बांस से बनी सुहाग पिटारी, , टिपिया, कागज की लुगदी से बनी पुरानी डलिया, आदि भी प्रदर्शित की गई हैं।

आज के इस अवसर पर भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद शाखा के अध्यक्ष डा उमाकांत गुप्ता, श्री मती प्रिया गुप्ता , नवनीत श्रीवास्तव, ,नीरज श्रीवास्तव, डा0 विजय कृष्ण गुप्त, ऐडिक्ट असित विश्नोई, पंकज कुमार गुप्ता, मोहन सोनी, श्री मती अनीता गुप्ता, श्री मती लक्ष्मी विश्नोई, श्रीमती उर्मिला माहेश्वरी, श्री मती कुसुम माहेश्वरी, श्रीमती मीना माहेश्वरी, श्री मती गरिमा पाठक आदि की विशेष उपस्थिति रही। श्री मती सन्ध्या पुरवार ने सभी आगन्तुकों का मुंह मीठा कराया तथा श्री मती ऊषा सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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