शिव वीथिका : नर्मदेश्वर महादेव के अलौकिक स्वरुपों को देखकर हतप्रभ हूं -शम्भूदयाल जी, पूर्व एक्साइज कमिश्नर

National Uttar Pradesh

उरई। श्री शिवजी को अति प्रिय श्रावण मास के प्रथम सोमवार को इन्टैक उरई अध्याय, प्रान्तीय कला धरोहर समिति संस्कार भारती और भारत विकास परिषद स्वामी विवेकानंद शाखा के संयुक्त तत्वावधान में भगवान श्री शिवजी की वीथिका का उद्घाटन शंख ध्वनि के मध्य पूर्व कमिश्नर ऐक्साईज मुम्बई शम्भूदयाल जी IRS ने प्रथम पूज्य श्री गणेशजी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पार्पण तथा दीप प्रज्वलित कर किया।

मुख्य अतिथि शम्भूदयालजी ने कहा कि इस श्री शिव वीथिका को देखकर ऐसा लगता है कि भगवान भोलेनाथ साक्षात यहां पर विराजे हैं। नर्मदेश्वर महादेव के विभिन्न अलौकिक स्वरुपों को देखकर मैं हतप्रभ हूं। अपने देश की सांस्कृतिक पहचान को जन जन तक पहुंचाने का जो कार्य डा0 हरी मोहन पुरवार और उनकी धर्म पत्नी श्री मती सन्ध्या पुरवार द्वारा किया जा रहा है , वह स्तुत्य है। उन्होंने श्री विष्णु गुप्त चाणक्य का उदाहरण प्रस्तुत करते हुये कहा कि राष्ट्रीय कार्यों में जो भी बाधाएं आयें , उनका नाश होना ही चाहिये। इस वीथिका के उद्घाटन के पश्चात श्री नटराज जी की प्रतिमा के समक्ष पूजन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ तथा सामूहिक रुप से श्री रुद्राष्टक और रावण रचित श्री शिव ताण्डव स्त्रोत का वाचन हुआ।

इस श्री शिव वीथिका में भगवान श्री शिवजी तथा उनकी शक्ति के प्रिय आयुध विभिन्न आकार प्रकार के त्रिशूल, त्रिशूल से सम्बन्धित मुद्रायें, डाक टिकटों के साथ श्री शिव जी की बारात में उपयोग में आये, डमरू, चिटकोला, सिंगारी, शंख, ढोलक, रमतूली, घड़ियाल, मजीरा आदि का भी प्रदर्शन किया गया।वीथिका में गंगा यमुना, भागीरथी, ब्रह्मपुत्र, चम्बल आदि ग्यारह नदियों से प्राप्त ग्यारह प्रकार के शिवलिंगों, सूर्य की रश्मि के सात रंगीं श्री शिवलिंग के तथा मां नर्मदा की कोख से प्राप्त विभिन्न दैवीय आकृतियों से युक्त दिव्य श्री नर्मदेश्वर महादेवों का भी प्रदर्शन किया गया।

वीथिका में अकीक पत्थरों पर प्रकृति की तूलिका से उकेरे गये भिन्न भिन्न प्रकार के श्री शिव आकृतियों का प्रदर्शन अति विशिष्ट है जिनमें कैलाश पर्वत पर भ्रमण करते मानव स्वरूप में श्री शिव, उनका त्रिशूल, उनका त्रिपुण्ड, , श्री मक्कार महादेव, श्री केदारनाथ जी, श्री अमरनाथ जी आदि की आकृतियां विशेष आकर्षक हैं। इनके साथ ही एक हजार एक सौ रुद्राक्षों से श्री शिव जी का अलंकृत स्वरूप अत्यन्त मन मोहक है। रुद्राक्ष में एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर दस मुखी तथा गौरी शंकर रुद्राक्ष का भी प्रदर्शन हुआ। वीथिका में श्री शिव के पिण्डीय स्वरूपों से युक्त इक्यावन पिण्डीय तथा सहस्र पिण्डीय शंखों के साथ साथ अन्य विभिन्न आकार प्रकार के श्री शिव लिंग युक्त शंखों का प्रदर्शन अति मोहक है। इसमें कैलाश पर्वत की छवि वाले शंख अद्भुत हैं।

श्री शिव लिंग के विषय में सारगर्भित जानकारी दी डा हरी मोहन पुरवार ने

श्री शिव लिंग के विषय में डा हरी मोहन पुरवार ने बतलाया कि मानव शरीर में शीर्ष एवं मेरुदंड के मध्य स्थित अंग जिसे चिकित्सक गण मैड्युला औबलन्गेटा के नाम से पुकारते हैं , यह श्री शिव लिंग के आकार का होता है और यह अभी तक अभेद्य एवं मानवीय क्रिया कलापों से ऊपर है। यही स्थिति श्री शिव लिंग की है। वीथिका में नेपाल, चस्का, भूटान, कम्बोडिया, इण्डोनेशिया, श्री लंका, पलाऊ आदि देशों के श्री शिव आकृति से युक्त डाक टिकट एवं सिक्के भी प्रदर्शित किये गये हैं। इनके साथ साथ मैसूर, शिवगंगा, मदुरै आदि दक्षिण भारतीय रियासतों की 14 वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी के मध्य प्रचलित लघु ताम्र मुद्रायें भी प्रदर्शित की गई। मदुरै की 16 वीं शताब्दी की श्री शिव पार्वती के चित्र से युक्त सिंहासन मुद्रा का स्वर्ण तथा ताम्र का सिक्का दर्शनीय है। मुद्राओं में ईसा से लगभग 200 वर्ष पूर्व के श्री शिव के विभिन्न स्वरुपों से युक्त कुषाण कालीन, 400 वर्ष ईसा पूर्व के मगधके सिक्के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। वीथिका में प्रदर्शित श्री शिव की समस्त सामग्री श्रीमती सन्ध्या पुरवार व डा हरी मोहन पुरवार के निजी संग्रह से प्रस्तुत की गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शम्भूदयाल जी का अंग वस्त्र उढाकर डा हरी मोहन पुरवार तथा डा उमाकांत गुप्त ने स्वागत किया तथा श्रीमती ऊषा सिंह निरंजन, श्री मती सन्ध्या पुरवार, श्रीमती रेखा वर्मा , श्री मती स्वर्णलता सेठ ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। वीथिका संयोजन में श्री मती प्रियन्का अग्रवाल, कु काजल राजपूत, राहुल पाटकर कु अंजली का विशेष योगदान रहा।

बाद में वीथिका अवलोकनार्थ पधारे, लखनऊ लाल चंदैया, श्रीमती गीता चंदैया, बहिना डा माया सिंह, राम प्रकाश सेठ, श्रीमती अनीता गुप्ता महावीर सरावगी, उनकी धर्म पत्नी, श्री मती खुशबू पाटकर , गुडिया परी पाटकर, कु अंकिता पुरवार, श्रीमती निर्मल पुरवार आदि का आभार व्यक्त किया और फिर सभी ने श्री नटराज पूजन का प्रसाद ग्रहण किया।

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