“संगमन” का संकल्प अभियान/ “WE ARE HELPING EACH OTHER” की भावना से सूबे की स्वास्थ्य सेवाएं जनसुलभ होने से उत्तराखंड बनेगा सर्वश्रेष्ठ-पदमश्री डा बी.के.एस.संजय

National Uttarakhand

देहरादून-प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखन्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा मे भागीरथी प्रयास किए जा रहे हैं। सामाजिक संस्था “संगमन” द्वारा मा मुख्यमंत्री के इस संकल्प को पूरा करने मे सक्रिय सहभागिता की जा रही है।

अनुभवी महानुभावों से सम्पर्क अभियान के क्रम मे टीम संगमन द्वारा पदमश्री विभूषित डा बी.के.एस. संजय से भेंट कर सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।
सर्वश्रेष्ठ राज्य हेतु यह अनिवार्य है कि हर आमजन को सर्वसुलभता से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। इस संबंध मे डा संजय द्वारा “WE ARE HELPING EACH OTHER” के स्लोगन के साथ बेहद सारगर्भित व उपयोगी सुझाव दिए गए। डा संजय ने सरकारी व प्राइवेट डाक्टरों का परस्पर विरोधी के बजाय एक दूसरे का पूरक बताते हुए सुझाव दिया कि सरकार को जनता व डाक्टरों के मध्य विश्वासपरक वातावरण का निर्माण करने मे प्रभावी भूमिका निभाना होगा।

A-डा बी के एस संजय वर्ष 2021 मे हुए पदमश्री से विभूषित/गिनीज बुक रिकार्ड/लिम्का बुक रिकार्ड होल्डर है डा संजय : –

डा संजय उत्तर भारत के ख्यातिप्राप्त आर्थोपेडिक व स्पाइन रोग विशेषज्ञ है।जनसेवा को सदैव समर्पित डा संजय 200 से अधिक चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर चुके हैं। डा संजय को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2021 मे नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा पदमश्री से विभूषित किया गया है। तत्कालीन राष्ट्रपति मा रामनाथ कोविंद ने डा संजय को उपाधि प्रदान की थी। डा संजय गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स व लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर भी है।
देहरादून के जाखन के दूनविहार मे “संजय आर्थोपेडिक, स्पाइन व मैटरनिटी सेंटर” के नाम से डा संजय का आवश्यक सुविधाओं से युक्त नर्सिंग होम है। डा संजय बुन्देलखण्ड के जनपद जालौन के सैदनगर ग्राम के मूल निवासी हैं। डा संजय अभी भी अपनी जन्मभूमि से जुडाव रखते हैं। उनके द्वारा कुछ दिनों पूर्व गृह ग्राम मे विशाल निशुल्क आर्थोपेडिक शिविर भी आयोजित किया गया था।


B-प्राइवेट व सरकारी चिकित्सकों की सहभागिता से अधिकाधिक चिकित्सा शिविरों का हो आयोजन :-

आम नागरिकों व चिकित्सकों के मध्य परस्पर विश्वासपरक वातावरण के साथ सरकार को अधिक से अधिक विशेषकर दुर्गम व अभावग्रस्त क्षेत्रों मे चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना चाहिए। जिससे जनता का डाक्टरों के प्रति नजरिया भी बदलेगा। सरकारी हो या प्राइवेट सभी चिकित्सक सहर्ष ही शिविरो हेतु अपनी सेवाएं देंगे। सरकारी व प्राइवेट डाक्टर परस्पर विरोधी नहीं वरन पूरक
चिकित्सा शिविरों मे बेहद कम संसाधनों मे स्वास्थ्य की दृष्टि से जन-उपयोगी कार्य किए जा सकते हैं। जैसे किसी नर्स के द्वारा ब्लडप्रेशर नापना, वेट मशीन से वजन तौलना, ग्लूकोमीटर से सुगर चैक करना जैसे स्क्रीनिंग के कार्य आसानी से किए जा सकते हैं। जो किसी भी बीमारी को प्रारंभिक तौर पर डाइग्नोस किया जा सकता है।डा संजय ने बताया कि इसी तरह यदि संसाधन हो तो ईसीजी जांच,अल्ट्रासाउंड आदि की व्यवस्था भी हो तो उत्तम है।

C-चिकित्सा शिविरों से जनता मे भी बढेगी सरकार की लोकप्रियता/सांसद/विधायक निधि से हो आयोजन :
डा संजय के अनुसार निशुल्क चिकित्सा शिविरों के माध्यम से जब स्वास्थ्य सेवाएं आमजन तक पहुचेगी तो जनता मे सरकार की लोकप्रियता भी बढेगी।
इन शिविरों मे सभी चिकित्सक सहर्ष निशुल्क परामर्श प्रदान करेगें। परन्तु आयोजन मे होने वाले खर्च को सांसद या विधायक निधि से करने का प्रावधान किया जा सकता है।

D-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संसाधनयुक्त बनाना बेहद आवश्यक :-
डा संजय ने सुझाव दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को संसाधनयुक्त बनाना बेहद आवश्यक है। यदि धनोल्टी मे ही आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो जांएगी तो वहां के लोग क्यों देहरादून तक दौड लगाएगे। डा संजय के अनुसार चाहे सरकार को कुछ अतिरिक्त प्रयास करने पडें, लेकिन सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए आमजन को समीपस्थ क्षेत्र मे स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करानी आवश्यक है।
E-टेली मेडीसन को बढावा देकर आधुनिक टेक्नोलॉजी का हो अधिकाधिक प्रयोग :-
डा संजय के अनुसार वर्तमान समय मे टैक्नोलॉजी का हर क्षेत्र मे उपयोग हो रहा है। यदि स्वास्थ्य सेवाओं मे टैक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए टेलीमेडिसिन की पद्धति अपनाई जाए तो आमजन को बहुत सहूलियत मिलेगी।
डा संजय ने उदाहरण दिया कि यदि एक्स-रे रिपोर्ट मोबाइल फोन से भेजकर चिकित्सक से परामर्श लिया जाए तो कितनी भाग दौड़ बच सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जनपद स्तर पर इसका तंत्र विकसित किया जा सकता है।

F-डा बी के एस संजय को “संगमन” का प्रतीक चिन्ह किया भेंट :-
पदमश्री डा बी के एस संजय को “संगमन” के प्रतिनिधिमंडल ने संगमन का प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया। प्रतिनिधिमंडल मे प्रमुख रूप से संयोजक सुरेन्द्र अग्रवाल,रचना गर्ग, स्वप्निल सिन्हा, प्रमोद बेलवाल,दीपक शाह शामिल रहे।

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