मुन्दोली राइडर्स क्लब का गौरव: सौरव कठैत का SAI में चयन, हिमालय की प्रतिभा को मिला नया आकाश!

National Sports Uttarakhand

चमोली (उत्तराखंड)-उत्तराखंड के चमोली जिले के एक छोटे से गाँव मुन्दोली से उठी एक असाधारण कहानी ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। यह कहानी है मुन्दोली राइडर्स क्लब की, एक ऐसे गैर-पंजीकृत संगठन की जो हिमालय के गरीब और वंचित बच्चों के सपनों को पंख दे रहा है। इसी क्लब के एक होनहार छात्र, सौरव कठैत, को भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के लिए चुना गया है, जो न केवल क्लब के लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है। यह चयन दर्शाता है कि कैसे समर्पण, कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से दुर्गम क्षेत्रों की प्रतिभा भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकती है।

*एक सपना जो मुन्दोली की मिट्टी में पनपा: कलम सिंह बिष्ट (पूर्व सैनिक, अल्ट्रा रनर, सामाजिक कार्यकर्ता) की दूरदृष्टि

कहानी की शुरुआत होती है मुन्दोली गांव से, जहाँ के मूल निवासी श्री कलम सिंह बिष्ट ने एक सपना देखा। उन्होंने देखा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में, विशेषकर चमोली जैसे दूरदराज के इलाकों में, खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें सही मंच और प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। इन बच्चों की आर्थिक स्थिति अक्सर इतनी कमजोर होती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के बारे में सोच भी नहीं पाते। इसी सोच के साथ, श्री बिष्ट ने दो साल पहले मुन्दोली राइडर्स क्लब (MUNDOLI RDERS CLUB) की नींव रखी। उनका उद्देश्य था इन प्रतिभाओं को तलाशना, उन्हें तराशना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना।

कलम सिंह बिष्ट का यह कदम एक साधारण प्रयास से कहीं बढ़कर था। यह एक मिशन था, एक जुनून था। बिना किसी सरकारी सहायता या बड़े फंडिंग के, उन्होंने अपनी सीमित संसाधनों से इस क्लब को खड़ा किया। उनका विश्वास था कि यदि इन बच्चों को सही दिशा और अवसर मिले, तो वे चमत्कार कर सकते हैं। आज, उनका यह विश्वास हकीकत में बदलता दिख रहा है। मुन्दोली राइडर्स क्लब, जिसे शुरू हुए अभी मात्र दो साल हुए हैं, वर्तमान में 370 से अधिक छात्रों को विभिन्न खेलों में प्रशिक्षण दे रहा है। यह संख्या अपने आप में श्री बिष्ट के समर्पण और उनके दृष्टिकोण की सफलता की गवाही देती है।

*SAI का दरवाजा खटखटाते मुन्दोली के शेर: एक कड़ी चुनौती और शानदार सफलता

भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में चयन किसी भी युवा एथलीट के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। SAI देश में खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने वाली सर्वोच्च संस्था है। SAI की चयन प्रक्रिया 11 और 12 फरवरी 2025 को शुरू हुई थी, और मुन्दोली राइडर्स क्लब के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर था। क्लब के तीन होनहार छात्रों, अंजू (एथलीट), सूरज (बॉक्सिंग), और सौरव कठैत (एथलीट) ने इस चयन प्रक्रिया में भाग लिया। यह तीनों छात्र पिछले काफी समय से क्लब में कड़ी मेहनत कर रहे थे और अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे थे।

परीक्षा का दिन उनके लिए सिर्फ शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि मानसिक दृढ़ता और सालों की मेहनत का परिणाम भी था। अंजू ने एथलेटिक्स में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया, वहीं सूरज ने बॉक्सिंग रिंग में अपनी ताकत और कौशल दिखाया। सौरव कठैत, जो एक उत्कृष्ट एथलीट के रूप में जाने जाते हैं और 10,000 किलोमीटर से अधिक दौड़ चुके हैं, ने भी अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता का प्रदर्शन किया।

और फिर वह क्षण आया, जिसका सबको इंतजार था। परिणामों की घोषणा हुई और मुन्दोली राइडर्स क्लब खुशी से झूम उठा! तीन में से एक छात्र, सौरव कठैत, को SAI के लिए चुन लिया गया। यह खबर मुन्दोली गांव में जश्न का माहौल लेकर आई। सौरव का चयन न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि मुन्दोली राइडर्स क्लब के सिद्धांतों और श्री कलम सिंह बिष्ट की कड़ी मेहनत का भी प्रमाण था। यह दर्शाता है कि हिमालय के दूरदराज के क्षेत्रों में भी ऐसी प्रतिभाएं छिपी हैं, जिन्हें केवल सही अवसर की तलाश है।

सौरव कठैत: एक उभरता सितारा पिता खिम सिंह, माता स्वर्गीय श्रीमती यशोदा देवी, ग्राम पदमाला के रहने वाला है, जिसने असंभव को संभव किया
सौरव कठैत सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और अटूट विश्वास का प्रतीक हैं। वह मुन्दोली राइडर्स क्लब के उन अनगिनत बच्चों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी परिस्थितियों को अपनी नियति नहीं बनने दिया। सौरव एक उत्कृष्ट एथलीट हैं, और उनकी दौड़ने की क्षमता बेजोड़ है। क्लब के सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अब तक 10,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है, जो उनके समर्पण और फिटनेस का प्रमाण है। यह आंकड़ा बताता है कि SAI में उनका चयन केवल भाग्य का खेल नहीं था, बल्कि अनगिनत घंटों के प्रशिक्षण, पसीने और अथक प्रयासों का परिणाम था।

सौरव का यह सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह उन्हें सिखाएगा कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति सच्चे हैं और उसके लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। SAI में चयन के बाद, सौरव को अब विश्व स्तरीय सुविधाओं और प्रशिक्षण का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी प्रतिभा और निखरेगी। हमें उम्मीद है कि वह आने वाले समय में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करेंगे।

एक संगठन जो सिर्फ खेल नहीं, भविष्य गढ़ता है: मुन्दोली राइडर्स क्लब की महत्ता
मुन्दोली राइडर्स क्लब सिर्फ एक खेल संगठन नहीं है; यह एक सामाजिक क्रांति का केंद्र है। यह हिमालय के गरीब और वंचित बच्चों को खेल के माध्यम से एक बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान कर रहा है। यह संगठन न केवल शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, बल्कि छात्रों में अनुशासन, टीम वर्क और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण गुणों को भी विकसित करता है।

श्री कलम सिंह बिष्ट और उनकी टीम का काम सचमुच सराहनीय है। वे पहाड़ों में छिपी प्रतिभाओं को ढूंढते हैं, उन्हें अपने क्लब में शामिल करते हैं और उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण देते हैं। इन बच्चों में से कई ऐसे परिवारों से आते हैं, जहाँ दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में मुन्दोली राइडर्स क्लब उनके लिए एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। यह क्लब उन्हें न केवल खेल में आगे बढ़ने का मौका देता है, बल्कि शिक्षा और जीवन कौशल में भी उनका समर्थन करता है।

सौरव कठैत का SAI में चयन इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि मुन्दोली राइडर्स क्लब कितना प्रभावी है। यह क्लब अन्य खेल संगठनों और समाज के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे छोटे स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डाला जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ सुविधाओं का अभाव है।

भविष्य की ओर: अन्य छात्रों के सपने और SAI की अगली चुनौती
सौरव कठैत का चयन निश्चित रूप से मुन्दोली राइडर्स क्लब के अन्य छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। जिन छात्रों का इस बार SAI में चयन नहीं हो पाया, जैसे अंजू और सूरज, वे निराश नहीं हैं। वे और भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अगले चयन बोर्ड के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह उनके जज्बे और खेल के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

क्लब का लक्ष्य केवल SAI तक सीमित नहीं है। श्री कलम सिंह बिष्ट और उनकी टीम का सपना है कि मुन्दोली के बच्चे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का प्रतिनिधित्व करें। इसके लिए, क्लब को और अधिक संसाधनों, बेहतर सुविधाओं और अनुभवी कोचों की आवश्यकता होगी।

हमें उम्मीद है कि सौरव कठैत की यह सफलता मुंडोली राइडर्स क्लब के लिए अधिक ध्यान और समर्थन लाएगी। यह आवश्यक है कि ऐसे जमीनी स्तर पर काम करने वाले संगठनों को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें वह सहायता प्रदान की जाए जिसकी उन्हें आवश्यकता है ताकि वे अपने महान कार्य को जारी रख सकें। उत्तराखंड सरकार, खेल संघों और परोपकारी संस्थाओं को आगे आकर मुन्दोली राइडर्स क्लब जैसे संगठनों का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि ये ही सच्चे अर्थों में देश के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।

मुन्दोली राइडर्स क्लब की कहानी एक बार फिर यह साबित करती है कि प्रतिभा किसी भी सीमा, किसी भी भौगोलिक बाधा से बंधी नहीं होती। इसे बस एक चिंगारी की जरूरत होती है, और श्री कलम सिंह बिष्ट जैसे दूरदर्शी लोग उस चिंगारी को प्रज्वलित कर रहे हैं। सौरव कठैत की सफलता तो बस शुरुआत है, मुन्दोली से अभी और भी कई सितारे निकलने को तैयार हैं जो भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगे।

मुन्दोली राइडर्स क्लब (MUNDOLI RDERS CLUB) का गौरव: सौरव कठैत का SAI में चयन, हिमालय की प्रतिभा को मिला नया आकाश!

उत्तराखंड के चमोली जिले के एक छोटे से गाँव मुन्दोली से उठी एक असाधारण कहानी ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। यह कहानी है मुन्दोली राइडर्स क्लब की, एक ऐसे गैर-पंजीकृत संगठन की जो हिमालय के गरीब और वंचित बच्चों के सपनों को पंख दे रहा है। इसी क्लब के एक होनहार छात्र, सौरव कठैत, को भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के लिए चुना गया है, जो न केवल क्लब के लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है। यह चयन दर्शाता है कि कैसे समर्पण, कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से दुर्गम क्षेत्रों की प्रतिभा भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकती है।

*एक सपना जो मुन्दोली की मिट्टी में पनपा: कलम सिंह बिष्ट (पूर्व सैनिक, अल्ट्रा रनर, सामाजिक कार्यकर्ता) की दूरदृष्टि

कहानी की शुरुआत होती है मुन्दोली गांव से, जहाँ के मूल निवासी श्री कलम सिंह बिष्ट ने एक सपना देखा। उन्होंने देखा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में, विशेषकर चमोली जैसे दूरदराज के इलाकों में, खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें सही मंच और प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। इन बच्चों की आर्थिक स्थिति अक्सर इतनी कमजोर होती है कि वे अपने सपनों को पूरा करने के बारे में सोच भी नहीं पाते। इसी सोच के साथ, श्री बिष्ट ने दो साल पहले मुन्दोली राइडर्स क्लब (MUNDOLI RDERS CLUB) की नींव रखी। उनका उद्देश्य था इन प्रतिभाओं को तलाशना, उन्हें तराशना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना।

कलम सिंह बिष्ट का यह कदम एक साधारण प्रयास से कहीं बढ़कर था। यह एक मिशन था, एक जुनून था। बिना किसी सरकारी सहायता या बड़े फंडिंग के, उन्होंने अपनी सीमित संसाधनों से इस क्लब को खड़ा किया। उनका विश्वास था कि यदि इन बच्चों को सही दिशा और अवसर मिले, तो वे चमत्कार कर सकते हैं। आज, उनका यह विश्वास हकीकत में बदलता दिख रहा है। मुन्दोली राइडर्स क्लब, जिसे शुरू हुए अभी मात्र दो साल हुए हैं, वर्तमान में 370 से अधिक छात्रों को विभिन्न खेलों में प्रशिक्षण दे रहा है। यह संख्या अपने आप में श्री बिष्ट के समर्पण और उनके दृष्टिकोण की सफलता की गवाही देती है।

*SAI का दरवाजा खटखटाते मुन्दोली के शेर: एक कड़ी चुनौती और शानदार सफलता

भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में चयन किसी भी युवा एथलीट के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। SAI देश में खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने वाली सर्वोच्च संस्था है। SAI की चयन प्रक्रिया 11 और 12 फरवरी 2025 को शुरू हुई थी, और मुन्दोली राइडर्स क्लब के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर था। क्लब के तीन होनहार छात्रों, अंजू (एथलीट), सूरज (बॉक्सिंग), और सौरव कठैत (एथलीट) ने इस चयन प्रक्रिया में भाग लिया। यह तीनों छात्र पिछले काफी समय से क्लब में कड़ी मेहनत कर रहे थे और अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे थे।

परीक्षा का दिन उनके लिए सिर्फ शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि मानसिक दृढ़ता और सालों की मेहनत का परिणाम भी था। अंजू ने एथलेटिक्स में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया, वहीं सूरज ने बॉक्सिंग रिंग में अपनी ताकत और कौशल दिखाया। सौरव कठैत, जो एक उत्कृष्ट एथलीट के रूप में जाने जाते हैं और 10,000 किलोमीटर से अधिक दौड़ चुके हैं, ने भी अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता का प्रदर्शन किया।

और फिर वह क्षण आया, जिसका सबको इंतजार था। परिणामों की घोषणा हुई और मुन्दोली राइडर्स क्लब खुशी से झूम उठा! तीन में से एक छात्र, सौरव कठैत, को SAI के लिए चुन लिया गया। यह खबर मुन्दोली गांव में जश्न का माहौल लेकर आई। सौरव का चयन न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि मुन्दोली राइडर्स क्लब के सिद्धांतों और श्री कलम सिंह बिष्ट की कड़ी मेहनत का भी प्रमाण था। यह दर्शाता है कि हिमालय के दूरदराज के क्षेत्रों में भी ऐसी प्रतिभाएं छिपी हैं, जिन्हें केवल सही अवसर की तलाश है।

*सौरव कठैत: एक उभरता सितारा पिता खिम सिंह, माता स्वर्गीय श्रीमती यशोदा देवी, ग्राम पदमाला के रहने वाला है, जिसने असंभव को संभव किया

सौरव कठैत सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और अटूट विश्वास का प्रतीक हैं। वह मुन्दोली राइडर्स क्लब के उन अनगिनत बच्चों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी परिस्थितियों को अपनी नियति नहीं बनने दिया। सौरव एक उत्कृष्ट एथलीट हैं, और उनकी दौड़ने की क्षमता बेजोड़ है। क्लब के सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अब तक 10,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है, जो उनके समर्पण और फिटनेस का प्रमाण है। यह आंकड़ा बताता है कि SAI में उनका चयन केवल भाग्य का खेल नहीं था, बल्कि अनगिनत घंटों के प्रशिक्षण, पसीने और अथक प्रयासों का परिणाम था।

सौरव का यह सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह उन्हें सिखाएगा कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति सच्चे हैं और उसके लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। SAI में चयन के बाद, सौरव को अब विश्व स्तरीय सुविधाओं और प्रशिक्षण का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी प्रतिभा और निखरेगी। हमें उम्मीद है कि वह आने वाले समय में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करेंगे।

एक संगठन जो सिर्फ खेल नहीं, भविष्य गढ़ता है: मुन्दोली राइडर्स क्लब की महत्ता

मुन्दोली राइडर्स क्लब सिर्फ एक खेल संगठन नहीं है; यह एक सामाजिक क्रांति का केंद्र है। यह हिमालय के गरीब और वंचित बच्चों को खेल के माध्यम से एक बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान कर रहा है। यह संगठन न केवल शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, बल्कि छात्रों में अनुशासन, टीम वर्क और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण गुणों को भी विकसित करता है।

कलम सिंह बिष्ट और उनकी टीम का काम सचमुच सराहनीय है। वे पहाड़ों में छिपी प्रतिभाओं को ढूंढते हैं, उन्हें अपने क्लब में शामिल करते हैं और उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण देते हैं। इन बच्चों में से कई ऐसे परिवारों से आते हैं, जहाँ दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में मुन्दोली राइडर्स क्लब उनके लिए एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। यह क्लब उन्हें न केवल खेल में आगे बढ़ने का मौका देता है, बल्कि शिक्षा और जीवन कौशल में भी उनका समर्थन करता है।

सौरव कठैत का SAI में चयन इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि मुन्दोली राइडर्स क्लब कितना प्रभावी है। यह क्लब अन्य खेल संगठनों और समाज के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे छोटे स्तर पर भी बड़ा प्रभाव डाला जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ सुविधाओं का अभाव है।

भविष्य की ओर: अन्य छात्रों के सपने और SAI की अगली चुनौती
सौरव कठैत का चयन निश्चित रूप से मुन्दोली राइडर्स क्लब के अन्य छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। जिन छात्रों का इस बार SAI में चयन नहीं हो पाया, जैसे अंजू और सूरज, वे निराश नहीं हैं। वे और भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अगले चयन बोर्ड के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह उनके जज्बे और खेल के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

क्लब का लक्ष्य केवल SAI तक सीमित नहीं है। श्री कलम सिंह बिष्ट और उनकी टीम का सपना है कि मुन्दोली के बच्चे न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का प्रतिनिधित्व करें। इसके लिए, क्लब को और अधिक संसाधनों, बेहतर सुविधाओं और अनुभवी कोचों की आवश्यकता होगी।

हमें उम्मीद है कि सौरव कठैत की यह सफलता मुंडोली राइडर्स क्लब के लिए अधिक ध्यान और समर्थन लाएगी। यह आवश्यक है कि ऐसे जमीनी स्तर पर काम करने वाले संगठनों को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें वह सहायता प्रदान की जाए जिसकी उन्हें आवश्यकता है ताकि वे अपने महान कार्य को जारी रख सकें। उत्तराखंड सरकार, खेल संघों और परोपकारी संस्थाओं को आगे आकर मुन्दोली राइडर्स क्लब जैसे संगठनों का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि ये ही सच्चे अर्थों में देश के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।

मुन्दोली राइडर्स क्लब की कहानी एक बार फिर यह साबित करती है कि प्रतिभा किसी भी सीमा, किसी भी भौगोलिक बाधा से बंधी नहीं होती। इसे बस एक चिंगारी की जरूरत होती है, और श्री कलम सिंह बिष्ट जैसे दूरदर्शी लोग उस चिंगारी को प्रज्वलित कर रहे हैं। सौरव कठैत की सफलता तो बस शुरुआत है, मुन्दोली से अभी और भी कई सितारे निकलने को तैयार हैं जो भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगे।

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