देहरादून- जिस चिकित्सक को धरती पर भगवान जैसी उपमा दी गई है,उस चिकित्सक वर्ग में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ योगेन्द्र सिंह जैसे कुछ चिकित्सक अधिक से अधिक धन कमाने की लालसा मे नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ करने मे जुटे हुए हैं।
उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल मे की गई एक नई शिकायत मे पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल ने डा योगेन्द्र सिंह को प्रैक्टिस करने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि बीती 29 अप्रैल को मैक्स अस्पताल मे डा योगेन्द्र सिंह ने एन्जियोग्राफी के उपरांत उन पर (सुरेन्द्र अग्रवाल पर) तत्काल हार्ट मे स्टेन्ट डलवाने का दवाब बनाते हुए कई प्रकार से अमानवीय व्यवहार किया गया है।
डा योगेन्द्र सिंह द्वारा की गई एन्जियोग्राफी की रिपोर्ट व सीडी जब देहरादून व अन्य स्थानों के हार्ट स्पेशलिस्टों को दिखाई गई तो सभी का स्पष्ट मत रहा कि यह केस तुरंत स्टेन्ट डालने का था ही नहीं। इस केस मे दवा द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए था।
हार्ट स्पेशलिस्टों का कथन है कि एन्जियोग्राफी की रिपोर्ट के अनुसार सभी मेन आर्टिलरी नार्मल है। केवल ब्रांच आर्टलरी मे कुछ ब्लाकेज है। अतः यह केस तुरंत स्टेन्ट डालने का था ही नहीं।
हार्ट स्पेशलिस्टों की राय से स्पष्ट है कि डा योगेन्द्र सिंह दो तीन लाख रुपए की कमाई की खातिर बगैर जरूरत के ही पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल को स्टेन्ट डालने पर आमादा थे।
डा योगेन्द्र सिंह का यह कृत्य अक्षम्य है और दन्डनीय है। बगैर जरूरत के स्टेन्ट डालने का कृत्य बेहद ख़तरनाक है। शिकायत मे डा योगेन्द्र सिंह की एक डाक्टर के रूप मे आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग उतराखन्ड मेडीकल कांउसिल से की गई है।
**मेडीकल बोर्ड गठित कर एन्जियोग्राफी की रिपोर्ट का किया जाए परीक्षण :-
पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा शिकायत मे उतराखन्ड मेडीकल कांउसिल से यह मांग भी की गई है कि हार्ट स्पेशलिस्टों का एक मेडिकल बोर्ड बनाकर एन्जियोग्राफी की रिपोर्ट का परीक्षण किया जाए कि यह केस तत्काल स्टेन्ट डालने का था या नहीं।
**उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल की कार्यवाही पर दूनवासियों की है नजर :-
उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल मे रजिस्ट्रार से लेकर अन्य सभी लोग चिकित्सक ही होते हैं। अतः इस प्रकरण में मेडिकल काउंसिल डा योगेन्द्र सिंह के विरुद्ध कोई प्रभावी करेगा या फिर मामले को रफा-दफा कर दिया जाएगा। इस बात पर दूनवासियों की नजर बनी हुई है।