देहरादून के जिला सूचना अधिकारी बद्री चन्द्र नेगी पद के नशे में हुए मदमस्त /स्थाई समिति की परिचयात्मक बैठक में समूचे पत्रकार समुदाय के विरोध में उतरे /हुई बेहद तीखी नोंकझोंक

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देहरादून -देहरादून के जिला सूचना अधिकारी बद्री चन्द्र नेगी पर पद का नशा इस हद तक सवार हो चुका है कि वह अब खुलकर समूचे पत्रकार समुदाय के विरोध में उतर आए हैं। गत दिनों पर जिला स्तरीय पत्रकार स्थाई समिति की जिला सूचना अधिकारी द्वारा बुलाई गई परिचयात्मक बैठक में इसी मुद्दे पर जमकर नोंकझोंक हुई। बद्री चन्द्र नेगी की पत्रकार समुदाय विरोधी सोच के तहत जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका जी को भी गुमराह करने की नाकाम कोशिश की।
A-पत्रकारों के उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों के लिए नहीं वरन पत्रकारों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के मामलों के लिए गठित होती है स्थाई समिति-बद्री चन्द्र नेगी :-

स्थाई समिति की परिचयात्मक बैठक में उस समय जबरदस्त नोंकझोंक की स्थिति पैदा हो गई। जब स्थाई समिति के दो दशक पुराने शासनादेश पर चर्चा शुरू हुई।
शासनादेश में “पत्रकार उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों के निस्तारण” का उल्लेख है। जिला सूचना अधिकारी बद्री चन्द्र नेगी ने इस सम्बन्ध में अपनी पत्रकार समुदाय विरोधी मानसिकता का परिचय देते हुए कहा कि इसका आशय है कि “पत्रकारों द्वारा जो उत्पीड़न किया जा रहा है” उससे सम्बंधित मामलों की सुनवाई स्थाई समिति द्वारा की जाएगी।
B-बद्री चन्द्र नेगी की पत्रकार विरोधी इस सोच पर सुरेन्द्र अग्रवाल से हुई तीखी नोंकझोंक :-

उप्र के समय से ही पत्रकारों के उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों को स्थाई समिति के माध्यम से जिलाधिकारी के समक्ष उठाया जाता है। परन्तु जिला सूचना अधिकारी बद्री चन्द्र नेगी द्वारा दी गई नई परिभाषा पर सुरेन्द्र अग्रवाल से तीखी नोंकझोंक हुई। जिला सूचना कार्यालय में इस मुद्दे पर करीब एक घंटा नोंकझोंक व तू तू मैं मैं का माहौल बना रहा।
D- पत्रकार रामगोपाल शर्मा खुलकर आए बद्री चन्द्र नेगी के समर्थन में :-

देहरादून में पत्रकार समुदाय यदि असहाय की स्थिति में है तो इसका बहुत बड़ा कारण निहित स्वार्थों के चलते कुछ पत्रकारों द्वारा हद दर्जे की चाटुकारिता करना है। ऐसा ही कुछ स्थाई समिति की बैठक में हुआ।

बद्री चन्द्र नेगी के अजीबोगरीब कुतर्क पर पत्रकार रामगोपाल शर्मा जिला सूचना अधिकारी की चाटुकारिता में अपनी पत्रकार कौम के विरोध मे उतर आए। रामगोपाल शर्मा ने एक तरह से फैसला सुनाते हुए बद्री चन्द्र नेगी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि पत्रकारों द्वारा उत्पीड़न के मामलों पर ही सुनवाई होगी।
E-बैठक में सुपर बौस की तरह व्यवहार करते नजर आए रामगोपाल शर्मा :-

जिला सूचना अधिकारी के कृपापात्र बनकर रामगोपाल शर्मा खुद को खुदा समझने लगे।सबसे पहले उन्होंने सुरेन्द्र अग्रवाल का क्लास लेते हुए सवाल दागा कि किस अधिकार से उन्होंने “स्थाई समिति” का वाट्सएप ग्रुप बनाया है।
तदुपरांत उन्होंने पत्रकारिता में दशकों से सक्रिय महिला पत्रकार मेघा गोयल का क्लास लेते हुए सवाल किया कि मेघा के नम्बर में एसकेएम क्यों दिख रहा है। इसे तत्काल सुधारिए।
F- रामगोपाल शर्मा का बौस का भूत भी उतारा गया :-

जब रामगोपाल शर्मा जिला सूचना अधिकारी की शह पर सुपर बौस की भूमिका में सब पर अपना रौब झाड़ रहे थे,तब उनका भी भूत उतारा गया। पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल ने दो टूक कहा कि जितनी हैसियत एक सदस्य के नाते तुम्हारी है, उतनी ही अन्य सदस्य की है। अतः सुपर बौस गीरी न झाड़ो।
G-बद्री चन्द्र नेगी ने जिलाधिकारी को भी गुमराह करने का किया दुस्साहस :-

जिलाधिकारी के रूप में जिन श्रीमती सोनिका जी ने अपनी जीवटता की मिसाल लोकसभा चुनावों में पेश की है। जिन जुझारू तेवरों से उन्होंने देहरादून में जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया। उन सोनिका जी को भी गुमराह करने से बद्री चन्द्र नेगी बाज नहीं आए।

स्थाई समिति के सदस्यों की संक्षिप्त मुलाकात में जिलाधिकारी द्वारा जब शासनादेश मांगा गया तो बद्री चन्द्र नेगी बगलें झांकने लगे। लेकिन वह अपनी पत्रकार विरोधी सोच को वहां भी नहीं दबा सके।

बद्री चन्द्र नेगी ने जिलाधिकारी को गुमराह करने की कोशिश करते हुए कहा कि स्थाई समिति में “पत्रकारों से उत्पीड़न” के मामले रखें जाते हैं।वहां पर भी सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा प्रतिवाद कर जिलाधिकारी को बताया गया कि पत्रकारों के उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों के लिए यह समिति गठित की जाती है। तब जिलाधिकारी ने बद्री चन्द्र नेगी को निर्देशित किया कि लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद कोई तिथि नियत कर बैठक रखी जाए।

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