मुख्यमंत्री धामी के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड अभियान में आरटीआई समाचार पत्र ने की बड़ी पहल/ सूचना विभाग में कथित भ्रष्टाचार पर कार्यालय अध्यक्ष आशीष त्रिपाठी को लिखा दायित्व बोध पत्र

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देहरादून -देश की प्रमुख राष्ट्रीय शख्सियत के रूप में शुमार किए जाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देवभूमि उत्तराखंड को “भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड” बनाने के लिए प्राणपण से जुटे हैं। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री द्वारा आज ही भ्रष्टाचार मुक्त अभियान की हैल्पलाइन‌ 1064 की गहन समीक्षात्मक बैठक भी की गई है।

देहरादून से प्रकाशित आरटीआई समाचार नामक समाचारपत्र ने मुख्यमंत्री धामी के इस अभियान में सक्रिय सहभागिता निभाने का निर्णय किया गया। इस क्रम में समाचारपत्र के सम्पादक सुरेन्द्र अग्रवाल ने सूचना विभाग के पूर्णकालिक वरिष्ठतम अधिकारी “कार्यालयकाध्यक्ष” आशीष त्रिपाठी को लिखित पत्र प्रेषित कर “कामर्शियल विज्ञापन” के नाम पर हो रही बड़ी धांधली और कथित भ्रष्टाचार पर श्री त्रिपाठी को उनके दायित्व का बोध कराते हुए पत्र लिखा है।

A-सूचना विभाग में विभागीय दर या डीएवीपी दर होने के बावजूद कई गुना अधिक कामर्शियल दर पर विज्ञापन धड़ल्ले से जारी किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में सूचना विभाग के अधिकारियों का तर्क रहता है कि नियमावली में ऐसा प्रावधान है कि मुख्यमंत्री महोदय की स्वीकृति से कामर्शियल दर पर विज्ञापन दिया जा सकता है।परन्तु ऐसा तर्क देते समय विभागीय अधिकारी अपने पदीय दायित्व को पूरी तरह भूल जाते हैं।

B-सर्वविदित तथ्य है कि प्रत्येक लोकसेवक (अधिकारी) का सर्वप्रमुख कर्तव्य है, शासन को राजस्व हानि से बचाना। चूंकि सूचना विभाग में महानिदेशक के पद पर भी स्थाई तौर पर सदैव कोई एक व्यक्ति नहीं रहता है, अतः सर्वकालिक विभागीय प्रमुख के रूप में अपर निदेशक ही कार्यलायाध्यक्ष होता है। अतः महानिदेशक या विभागीय मंत्री के जिस आदेश से लाखों रुपए की राजस्व को हानि हो सकती है, उसमें उनको पूरी स्थिति से लिखित रूप में संभावित राजस्व हानि का उल्लेख के साथ स्पष्ट टिप्पणी लिखना अपर निदेशक का प्रमुख दायित्व बनता है।

C-भले ही अभिलेखीय तौर पर बेहद मासूमियत से यह कहा जाता है कि हमसे तो फाईल बनाकर भेजने को कहा गया था तो हमने तो मात्र आदेश का पालन किया है।
देहरादून के अधिकांश पत्रकारों को कामर्शियल विज्ञापन के नाम पर फैले बड़े गोरखधंधे के बारे में स्पष्ट रूप से पता है। यदि चर्चाओं पर यकीन किया जाए तो कामर्शियल विज्ञापन में पचास से सत्तर फीसदी तक कमीशन के रूप में जबरदस्त भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है।

D-प्रदेश में आम युवा को दस हजार रुपए मासिक का रोजगार आसानी से प्राप्त नहीं है। परन्तु विभागीय दर से कई गुना दर पर लाखों रुपए का कामर्शियल विज्ञापन आसानी से मिल जाता है।

E- पूर्णकालिक कार्यालयकाध्यक्ष होने के नाते विधिक तौर पर जवाबदेही अपर निदेशक आशीष त्रिपाठी की हो जाती है। क्योंकि कामर्शियल दर पर मांगे जाने वाले विज्ञापन की पत्रावली में आशीष त्रिपाठी को एक पृष्ठ का संस्तुति नोट अपने हस्तलेख में अवश्य लिखना चाहिए कि यदि विभागीय दर पर सूचीबद्ध इस अखबार को कई गुना ज्यादा दर पर कामर्शियल दर पर विज्ञापन दिया जाता है, तो इससे शासन को इतनी धनराशि के राजस्व की हानि पहुंचेगी। यही नहीं आशीष त्रिपाठी को राजस्व की रक्षा हेतु स्पष्ट रूप से अपनी नकारात्मक संस्तुति भी लिखना चाहिए। क्योंकि एक लोकसेवक के नाते लोकधन को बचाने की आखिरी दम तक कोशिश करना आशीष त्रिपाठी का वैधानिक और विभागीय दायित्व है।

F- मा. मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त अभियान सहभागिता का निर्वहन करने के लिए आज सूचना विभाग में आरटीआई समाचार के सम्पादक सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा लिखित पत्र भी दिया गया है।

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