उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सनातन संस्कृति के समृद्ध वैदिक विज्ञान को गौरवान्वित करने वाले मात्र 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे जी ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के दो हजार वैदिक मंत्रों से सम्पन्न ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को निरन्तर 50 दिनों तक पूर्ण कर जिस अद्भुत साधना का परिचय दिया है, वह हमारी सनातन संस्कृति की गरिमा, व्यापकता और अखण्ड वैदिक परंपरा की ज्योति को और भी प्रखर करती है।
यह अनुष्ठान दर्शाता है कि सनातन धर्म केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीवन को आलोकित करने वाली चिरंतन चेतना है। यह उपलब्धि न केवल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद आदर्श है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि सनातन धर्म की तपोभूमि आज भी ऐसे तेजस्वी युवाओं को जन्म देती है। देवव्रत जी का यह वैदिक अध्यवसाय चिर काल तक अध्यात्म, संस्कार और गुरु-भक्ति का प्रकाश स्तंभ बनकर प्रेरणा देता रहेगा।
सनातन संस्कृति के समृद्ध वैदिक विज्ञान को गौरवान्वित करने वाले मात्र 19 वर्षीय श्री देवव्रत महेश रेखे जी ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के दो हजार वैदिक मंत्रों से सम्पन्न ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को निरन्तर 50 दिनों तक पूर्ण कर जिस अद्भुत साधना का परिचय दिया है, वह हमारी सनातन… pic.twitter.com/VOJw8Y2dms
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) December 3, 2025
जनसेवा का अद्भुत प्रतीक : आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री कार्यालय का ‘सेवा तीर्थ’ नामकरण, भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और शासन के मूल तत्व ‘जनसेवा’ का अद्भुत प्रतीक है। यह नाम केवल एक परिवर्तन नहीं, बल्कि उस संकल्प का सशक्त घोष है जिसके केंद्र में राष्ट्र प्रथम और सेवा ही धर्म की भावना विद्यमान है। यह ऐतिहासिक निर्णय उस नई कार्य संस्कृति का परिचायक भी है जिसमें सत्ता नहीं, कर्तव्य सर्वोच्च है और पद नहीं सेवा प्रधान है।

