*सूचना अधिकार के तहत आईडीबीआई बैंक की शाखाओं के किराए एग्रीमेंटों की मांगी गई सूचनाएं
*एग्रीमेंटों में स्टाम्प की कमी होने पर आईडीबीआई बैंक पर लग सकता है दस गुना तक जुर्माना
देहरादून -बैंको द्वारा खाताधारकों से ‘KYC’ के नाम पर तरह तरह कागज मांगे जा रहे हैं। कभी ‘EKYC’ ,कभी ‘Re KYC’ ,तो कभी ‘CKYC’ के नाम पर आम नागरिकों की दौड़ समाप्त ही नहीं हो रही है। लेकिन बैंकों के ‘KYC’ के जवाब में आम नागरिकों की ओर से लघु समाचारपत्र एसोसिएशन ने भी ‘KYB’ (KNOW YOUR BANK) नामक अभियान शुरू किया गया है। अभियान का प्रारंभ ‘IDBI BANK’ से किया गया है।
ज्ञातव्य है कि देश के आम नागरिक लम्बे समय से बैंकों द्वारा केवाईसी के नाम पर खाताधारकों को तरह तरह से परेशान किया जा रहा। वही कागज बार बार ‘EKYC’ ‘ReKYC’ ‘CKYC’ के नाम पर मांगे जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि सामान्य तौर पर कागज मांगे जा रहे हैं।
समयातंर्गत कागज न देने पर खाताधारकों के एकाउंट पर कभी धन निकासी पर रोक लगा दी जाती है,तो कभी पासबुक की प्रिंटिंग बंद कर दी जाती है। यदि दो टूक शब्दों में कहा जाए तो अब बैंकों की दृष्टि में अब खाताधारक का महत्व किसी गुलाम से अधिक नहीं रह गया है।बैंक प्रबंधन से जब कोई खाताधारक अपनी समस्या को लेकर तकलीफ़ जाहिर करता है तो कभी आरबीआई तो कभी हैड आफिस पर अपना पल्ला झाड़ लेता है।
लेकिन संभवतया बैंक प्रबंधन यह भूल गया कि जब भी कोई संस्था आम नागरिकों को कागजों के नाम पर तरह तरह से सताने लगती है तो जनता की ओर से भी कागजों के माध्यम से ही कठोर प्रतिउत्तर दिया जा सकता है।लघु समाचारपत्र एसोसिएशन के द्वारा आम नागरिकों की ओर से एक अभियान ‘KYB’ (KNOW YOUR BANK) अभियान शुरू किया गया है। जिस क्रम में आईडीबीआई बैंक से प्रारंभ किया गया है।
आईडीबीआई बैंक के देहरादून रीजनल हैड कार्यालय से एसोसिएशन के अध्यक्ष ‘सुरेन्द्र अग्रवाल पत्रकार’ ने सूचना के अधिकार के तहत कुछ सूचनाएं मांगी गई । जिनके खुलासा होने पर यदि कमी पाई जाती है तो आईडीबीआई बैंक पर हजारों रूपयों का जुर्माना लग सकता है।
दरअसल आईडीबीआई बैंक की देहरादून रीजन की अधिकांश शाखाएं किराए के भवनों में संचालित हो रही है। किराए एग्रीमेंट के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा कुछ नियम तय किए गए हैं। एग्रीमेंट की कुल धनराशि पर दो फीसदी स्टाम्प शुल्क देय होता है। एग्रीमेंट की अवधि एक वर्ष से अधिक होने पर रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होता है। एग्रीमेंट में स्टाम्प की कमी मिलने पर दस गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
खाताधारकों के हर अभिलेख चाहने वाला बैंक प्रबंधन पारदर्शिता में कितना विश्वास रखता है। देखना है कि देश की संसद द्वारा पारित सूचना अधिकार अधिनियम का आईडीबीआई बैंक कितना सम्मान करता है। वांछित सूचनाएं देता है या कोई बहाना बनाकर शाखाओं के किराए एग्रीमेंटों को छुपाए रखता है। विश्वस्त सूत्रों पर यदि भरोसा किया जाए कि किराए एग्रीमेंट्स में स्टाम्पों में भारी गड़बड़ी की गई।

