Byदेहरादून -उत्तराखन्ड के सूचना विभाग में इन दिनों ‘रुमित’ की अगुवाई में एडवरटाइजिंग एजेंसियों एक गुट की गुंडागर्दी देखी जा रही है। जिस सूचना विभाग में वर्षों से अधिकारियों व सहयोगियों का पत्रकारों के साथ परस्पर समन्वय से सौहार्दपूर्ण माहौल है,उस सूचना विभाग के माहौल को एडवरटाइजिंग एजेंसियों के एक गुट द्वारा विषाक्त बनाना शुरू कर दिया गया है। स्थिति इतनी अधिक बिगड़ चुकी है कि रुमित और उनका गुट ने पत्रकारों से बदसलूकी तक करने की जुर्रत शुरू कर दी है।
जैसे स्वास्थ्य महानिदेशालय मुख्यतः चिकित्सकों के लिए होता है। शिक्षा महानिदेशालय शिक्षकों के लिए होता है,उसी अनुसार सूचना भवन यानि सूचना विभाग मूलतः पत्रकारों के लिए होता है। लेकिन ‘रुमित’ को ऐसा गवारा नहीं हुआ। रुमित ने एडवरटाइजिंग एजेंसियों का एक गुट बनाकर अपना आधिपत्य जमाना शुरू कर दिया।
आम तौर पर पत्रकारगण अकेले या एक अन्य साथी के साथ सूचना विभाग आते हैं और अधिकारियों या सहयोगियों से सामान्य चर्चा के उपरांत वापस चले जाते हैं। सूचना विभाग में पत्रकारों को ‘होमली’ व्यवहार मिलता है। लेकिन ‘रुमित’ ने आधा दर्जन एडवरटाइजिंग एजेंसी संचालकों के साथ एक गुट बना लिया है। यह गुट सूचना विभाग में एक साथ पहुंचकर सामूहिक रूप से दवाब बनाने लगता है। इनके दवाब की यह स्थिति है कि अखबारों का भुगतान भले ही छह माह में हो , परन्तु ‘रुमित’ जैसे एडवरटाइजिंग एजेंसियों के भुगतान की फाइल बजट आते ही पंख लगाकर उड़ती है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एडवरटाइजिंग एजेंसियों को सूचना विभाग द्वारा अपनी ओर से कोई धनराशि नहीं दी जाती है। अपितु सम्बंधित अखबार से ही पन्द्रह फीसदी धनराशि की कटौती कर एडवरटाइजिंग एजेंसी को दिया जाता है। यानी जिन पत्रकारों /समाचारपत्र संचालकों से एडवरटाइजिंग एजेंसियों की आजीविका चलती है। अब ‘रुमित’ की अगुवाई वाला गुट पत्रकारों तक से बदसलूकी पर उतर आया है।

