प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह के नाम की फर्जी सूची वायरल करना संघ की प्रतिष्ठा धूमिल करने का षड्यंत्र- प्रभाकर उनियाल

National Uttarakhand

देहरादून’-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तराखंड प्रांत प्रचारक श्री युद्धवीर सिंह पर कई सारे रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के आरोप के साथ सोशल मीडिया पर जारी सूची के फर्जी होने और इसे दुर्भावना के साथ धोखाधड़ी कर जारी करने की बात अब निश्चित तौर पर स्पष्ट हो चुकी है। आपराधिक षड्यंत्र के रूप में योजित किए गए इस कुकृत्य की जितनी भर्त्सना की जाए, कम है।

उक्त उदगार संघ के प्रचार विभाग की प्रान्तीय टीम के सदस्य प्रभाकर उनियाल ने मीडिया को जारी एक बयान मे व्यक्त किए। उन्होंने मांग की कि अपराधियों को सामने लाकर उन्हें समुचित रूप से दंडित किया जाना अति आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि प्रांत प्रचारक राज्य में संघ का प्रमुख चेहरा होते हैं। जीवनव्रती कार्यकर्ता के रूप में कई दायित्वों में प्राप्त अनुभव और अनेकों वर्षों के कड़े परिश्रम के उपरांत वे इस स्थान पर पहुंचते हैं, जहां उन्हें अनेकों संगठनों व संस्थाओं के साथ ही हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करना होता है। बहुत सारे युवा उनसे प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

प्रांत प्रचारक को हानि पहुंचाने साथ ही यह दुष्कृत्य संघ की प्रतिष्ठा धूमिल करने का भी प्रयास है। संघ को लेकर अतीत में भी ऐसे घृणित अभियान चलाए गए, जो सदैव असफल रहे हैं किंतु संघ के प्रति ईर्ष्या व दुर्भावना रखने वाले लोग बार-बार ऐसी चेष्टा करते रहते हैं। उन्हें हर बार समाज से प्रभावी उत्तर मिलता है जो इस बार भी निश्चय ही मिलेगा। इसके साथ ही इस बात की भी आवश्यकता है कि प्रांत प्रचारक एवं संघ के विषय में बनाए जा रहे दुर्भावनायुक्त व संदेहपूर्ण वातावरण को पूरी तरह नकारते हुए निरंतर एवं व्यापक रूप से स्वीकृति पा रहे राष्ट्रीय विचारों के समर्थक, उन पर विश्वास रखते हुए मजबूती से उनके साथ खड़े हों।

सोशल मीडिया तक सर्व सुलभ पहुंच अपनी बात रखने का उचित मंच उपलब्ध कराती है किंतु निहित स्वार्थी तत्व उसका दुरुपयोग भी करते हैं। सोशल मीडिया में बहुत अधिक सक्रिय लोग परिणाम का आकलन न कर पाने तथा पुष्टि किए बिना अत्यधिक उत्साह में उनके कुटिल अभियान को आगे बढ़ा देते हैं। ऐसे लोगों अन्य को ‘फ्री का प्रसाद खाने वाला’ कह कर उपहास तक करते दिखते हैं जबकि आवश्यकता सोशल मीडिया का विवेकपूर्ण प्रयोग करने की है। संगठन विचारधारा का सबसे प्रमुख वाहक होता है। असावधानीवश इसे किसी प्रकार की हानि न पहुंचे, यह भी कार्यकर्ता का प्रमुख दायित्व होता है। सोशल मीडिया में भी इस ओर सावधानी अपेक्षित है।

यह ठीक है कि प्रश्नगत मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर हो गई है, किंतु ऐसी एफआईआर मेरी डिबेट का वीडियो बनाकर वायरल करने के मामले में भी की गई थी। उसका हश्र कुछ ऐसा हुआ कि अपराधीगण अब एफआईआर दायर करने वाले राजनीतिक दल के सम्मानित नेता हैं जबकि षड्यंत्र के शिकार के प्रति किसी दायित्व का निर्वहन नहीं हो पाया। वर्तमान मामले में ऐसा कुछ न हो, इसलिए आवश्यक है कि प्रकरण को उसकी तार्किक एवं न्यायपूर्ण परिणति पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए।

भविष्य में इस प्रकार के षड्यंत्र न हों, इसके लिए अपराधियों का मनोबल तोड़ना सभी विचारवान लोगों का दायित्व बनता है।

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