हरिद्वार बाईपास रोड पर फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं अफसर, जानिए पूरा मामला

Uttarakhand

 देहरादून: कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला के अधिकारियों का देखने को मिल रहा है। नौ साल से अधर में लटके हरिद्वार बाईपास रोड चौड़ीकरण की तीसरी बार कवायद शुरू की जा रही है। क्योंकि पिछले दो ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। लिहाजा, नई टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाली फर्म/ठेकेदारों के इतिहास से लेकर वर्तमान तक को ढंग से खंगाला जा रहा है।

आइएसबीटी से अजबपुर रेलवे ओवर ब्रिज तक के हिस्से के अवशेष भाग को चौड़ा करने के लिए आमंत्रित तकनीकी निविदा को फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में खोल दिया गया था। इसमें कुल 14 ठेकेदारों ने भाग लिया है। इस समय आचार संहिता लागू है, लिहाजा वित्तीय निविदा की कार्रवाई नहीं की जा रही। इस समय का सदुपयोग राजमार्ग खंड के अधिकारी पिछली गलतियों की पुनरावृत्ति न करने के मकसद से भी कर रहे हैं।

खंड की अधिशासी अभियंता रचना थपलियाल ने बताया कि सभी 14 ठेकेदारों के टर्नओवर व अनुभव का परीक्षण किया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में ठेकेदार काम कर चुके हैं, वहां की कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों से ठेकेदारों के दावों/अभिलेखों का सत्यापन किया जा रहा है। ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि निविदा में भाग लेने वाले ठेकेदार 25-30 करोड़ रुपये के चौड़ीकरण संबंधी कार्य करने में सक्षम हैं या नहीं। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि कहीं ठेकेदारों ने क्षमता से अधिक काम तो नहीं ले रखे हैं और उनकी वित्तीय स्थिति (आइटीआर के मुताबिक) उपयुक्त है या नहीं।

अधिशासी अभियंता रचना थपलियाल ने आश्वस्त किया कि इस दफा किसी भी तरह की चूक नहीं की जाएगी और बिना विवाद के चौड़ीकरण कार्य को पूरा कराया जाएगा। आचार संहिता समाप्त होने पर परीक्षण पूरा हो जाएगा और फिर वित्तीय निविदा की कार्रवाई पूरी कर काम शुरू करा दिया जाएगा। उम्मीद है कि वर्ष 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा।

यूं तो बाईपास रोड चौड़ीकरण की शुरुआत वर्ष 2012 में की जा चुकी थी। तब अमृत डेवलपर्स को यह काम दिया गया था। उस समय ठेकेदार ने सिर्फ काम हथियाने के लिए 14.21 करोड़ रुपये के काम को 17 फीसद कम दर पर यानी 11.81 करोड़ रुपये में प्राप्त कर लिया था। अधिकारियों ने भी यह नहीं देखा कि इतनी कम दर पर काम हो सकता है या नहीं। जिसका नतीजा यह हुआ कि काम लटकता चला गया और अंत में ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करना पड़ गया। बीते साल विभाग ने फिर से चौड़ीकरण की कवायद शुरू की, मगर पुरानी गलती को दूर नहीं किया। इस दफा नए ठेकेदार राकेश कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 25.90 करोड़ रुपये के काम को 23.66 फीसद कम दर पर झटक लिया। इसकी भरपाई के लिए ठेकेदार को 77.70 लाख रुपये की फर्जी बैंक गारंटी लगानी पड़ गई। यहां अधिकारियों ने एक साथ दो गलती कीं। पहली यह कि अत्यधिक कम दर पर ठेका आवंटित कर दिया और दूसरा बैंक गारंटी के सत्यापन में लापरवाही बरती गई। इस दफा भी नतीजा वही हुआ और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करना पड़ गया।

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