स्वंयभू समाजसेवी पवन अग्रवाल को कुकृत्यों की सजा मिलना हुआ शुरु/ नगरपालिका जालौन में हुई बडी हार

National Uttarakhand

जालौन (उरई) – एक उक्ति में कहा गया है कि “सत्य परेशान तो हो सकता है-लेकिन पराजित नहीं हो सकता है”।यह उक्ति जालौन नगर मे पूरी तरह सच साबित हुई।

स्वंयभू समाजसेवी पवन अग्रवाल को उनके द्वारा किए गए कुकृत्यों की सजा मिलनी शुरू हो गई है। पवन को पहिली बहुत बडी हार नगरपालिका जालौन मे हुई है‌। जहां पर गहन जांचोपरांत मां सावित्री देवी की बेशकीमती सम्पत्ति पर अकेले पवन के नाम की जगह पुनः चारों भाइयों का नाम नगरपालिका के रिकार्ड मे दर्ज कर दिया गया है।

ज्ञातव्य है कि स्वंयभू समाजसेवी पवन अग्रवाल खुद को जालौन का सबसे बड़ा समाजसेवी बताते हैं। आधा दर्जन संस्थाओ से जुडा बताते हैं। परन्तु अन्ततः पवन का असली चेहरा सबूतों के साथ पूरे समाज के सामने आने लगा है।
*A- फर्जी अभिलेखों के आधार पर पवन ने पूरी सम्पत्ति को अकेले अपने नाम करा लिया था दर्ज:-

मां सावित्री अग्रवाल के निधन के पश्चात उनकी द्वारिकाधीश मंदिर,बैठगंज जालौन के समीप स्थित एक बेशकीमती सम्पत्ति उनके चारों पुत्रों राजेन्द्र, बीरेंद्र, सुरेन्द्र व पवन के नाम पर नगरपालिका के रिकार्ड मे दर्ज की गई थीं।
परन्तु कुछ वर्षों बाद कूटरचित फर्जी दस्तावेजों की मदद से पवन द्वारा एक साजिश रची गई। जिसके तहत पवन ने चारो भाइयों के संयुक्त स्वामित्व वाली उक्त सम्पत्ति से तीन भाइयों का नाम कटवा कर पूरी सम्पत्ति अकेले अपने नाम पर दर्ज करवा ली थी ‌।

*B- तीनों भाइयों ने की थी इस फर्जीवाड़े की नगरपालिका मे लिखित शिकायत:-

तीनो भाइयों राजेन्द्र,बीरेन्द्र व सुरेन्द्र ने नगरपालिका जालौन के अध्यक्ष श्री गिरीश गुप्ता जी से इस फर्जीवाड़े की लिखित शिकायत की थी। कई बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्याय देने की अपील भी की‌।
*C- नगरपालिका जालौन द्वारा की गई मामले की गहन छानबीन :-

नगरपालिका जालौन ने इस मामले की गहन छानबीन की। यह नगरपालिका के लिए भी अपनेआप मे एक अलग तरह का मामला था। सम्पत्ति के इकपक्षीय नामांतरण से लाभान्वित होंने वाले पवन के अतिरिक्त अन्य समस्त दावेदारों ने इस फर्जीवाड़े की लिखित शिकायत की थी।
जांच के दौरान यह बात भी उजागर हुई कि नामांतरण से पूर्व इस सम्पत्ति के अन्य दावेदारों से न तो कोई सहमति या अनापत्ति ली गईं और न ही उन्हें नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया।


*D-अनेको दवाब को दरकिनार कर चेयरमैन गिरीश गुप्ता ने दिया न्याय के पक्ष में फैसला:-

नगरपालिका के चैयरमेन गिरीश गुप्ता की न्यायप्रियता के बारे मे जानकर सभी जनपदवासियों को प्रसन्नता होगी कि सम्पत्ति के इकतरफा नामांतरण से लाभान्वित होने वाले पक्ष ने तरह तरह से अनुचित दवाब बनाने की कोशिश की। परन्तु चेयरमैन गिरीश गुप्ता ने अपने फैसले से यह साबित कर दिया कि उनके लिए न्याय सर्वोपरि है।
*E- गिरीश गुप्ता की न्यायप्रियता से आगामी नगरपालिका के चुनाव मे भारी फायदा मिलेगा भाजपा को :-

चेयरमैन गिरीश गुप्ता के विनम्र व मृदु व्यवहार से तो जालौन नगरवासी पूर्व से ही कायल हैं।
अब दवाबो को दरकिनार कर न्याय के पक्ष में अपना फैसला देने पर गिरीश गुप्ता जी की सर्वत्र सराहना हो रही है।
नगरपालिका के कुछ ही दिनों बाद नए चुनाव होने जा रहे हैं। गिरीश गुप्ता जी की न्यायप्रियता व विनम्रता का भारी लाभ हर हाल में भाजपा को मिलेगा।

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