देहरादून – श्री नित्यानंद स्वामी जनसेवार्थ समिति के संरक्षक इं गोपाल कृष्ण मित्तल, मार्गदर्शक प्रेम बडाकोटि, संयोजक रोशन लाल अग्रवाल, सचिव योगेश अग्रवाल द्वारा 25 जून आपातकाल की बरसी पर संयुक्त रूप से प्रैस विज्ञप्ति जारी की गई।
जिसमे उनके द्वारा संयुक्त रूप से अपील की गई –
आदरणीय बंधुओं भूल ना जाना ताकि सनद रहे
“25 जून 1975” की वो काली भयावह रात जिस रात को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का गला घोंटकर देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कैबिनेट में बिना प्रस्ताव पास करवाए ही देश में आपातकाल (एमरजेंसी) की घोषणा कर इमरजेंसी लागू कर दी गई।
सत्ता पर काबिज रहने के लिए नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन कर उन्हें रातोंरात जेलों में कैद कर कठोर यातनाएं दी गईं । सरकार के विरोध में कोई समाचार न छप पाए समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू कर दी गई। लोकतंत्र के समर्थन में आवाज उठाने वाले देशप्रेमी व नेताओं को जबरदस्ती जेलों में डाल दिया गया। देश में “मीसा” जैसे काले कानून लागू कर देशभक्तों को जेलों में ठूंस कर अमानवीय यातनाएं दी गईं। बेकसूर लोगों को जेल में कठोर यातनाएं दी गई। विशेष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर इनपर घोर अत्याचार कर उनका उत्पीड़न किया गया। अनेक कार्यकर्ताओं का तो इन कठोर यातनाओं के कारण इस दौरान बलिदान हों गया। अनेकों लोकतंत्र के प्रहरियों के कारोबार तहस नहस हो गए। परिवार बिखर गए। घोर यातनाओं के शिकार होने पर भी क्ररूर सरकार इन लोकतंत्र सेनानियों की आवाज बंद नहीं कर पाई।अन्तत: मजबूर होकर श्रीमती इंदिरा गांधी की तानाशाह सरकारको एमरजेंसी हटानी पड़ी। लोकतत्र की विजय हुई। निरकुंश शासन की पराजय हुई।
हमारी समिति "श्री नित्यानंद स्वामी जनसेवार्थ समिति" के माध्यम से हमारी समिति द्वारा विगत कई वर्षों में आपातकाल के उन लोकतंत्र सेनानियों के लिए गंभीरता से आवाज उठाई। जिन्होंने लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना जेल गए व कठोर से कठोर यातनाओं को सहन किया ।
हमारी समिति की सरकार से मांग थी कि आपातकाल के सभी देशभक्त को "लोकतंत्र सेनानी" का दर्जा प्रदान किया जाए, तथा उनको "मासिक पेंशन" प्रदान कर सम्मानित किया जाये। परिणाम स्वरूप सरकार ने हमारी समिति श्री नित्यानंद स्वामी जनसेवार्थ समिति की दोनों मांगों को स्वीकार कर लिया।
लोकतंत्र के काले दिवस पर हमारी समिति प्रतिवर्ष 26 जून को “लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह” का आयोजन करती रही है। इसी समिति के माध्यम से सेनानियों से जुड़ी समस्याओं को प्रखर आवाज के माध्यम से सरकार के समक्ष मांगें उठाते हैं। अभी हाल में गत वर्ष भी हमारी समिति द्वारा सरकार के समक्ष प्रखर रुप से मांग रखी गई थी कि मृतक लोकतंत्र सेनानी के आश्रितों को भी पेंशन मिलनी चाहिए। आपके सभी में संज्ञान में लाना है कि सरकार द्वारा इस मांग को भी स्वीकार कर लिया।
“अपने वरिष्ठ जनों की सलाह से अपरिहार्य कारण से इस वर्ष यह आयोजन नहीं कर पा रहे हैं”।परंतु हम लोकतंत्र सेनानियों की मांगों को लेकर निरंतर प्रयास करते रहेंगे।
“हमारी सरकार से मांग है“:-
*सरकार लोकतन्त्र के प्रहरियों को सम्मान पेंशन प्रदान करने के लिए अधिनियम (एक्ट) बनाया जाए।
- स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस समारोह में शासन-प्रशासन द्वारा इनको सुनिश्चित आमंत्रित करने की व्यवस्था की जायें।
- लोकतंत्र सेनानियों को सरकारी बसों में निशुल्क बस यात्रा की व्यवस्था लागू करने की व्यवस्था की जायें ।
- अस्वस्थता की स्थिति में अन्य राज्यों की भांति लोकतंत्र प्रहरियों का सरकार द्वारा निशुल्क उपचार की व्यवस्था की जाएं। इलाज का संपूर्ण खर्चा सरकार द्वारा ही उठाए।
अपील-आदरणीय बंधुओं! लोकतंत्र के सभी सजग प्रहरियों से हमारी प्रार्थना है कि जीवन के अंतिम क्षणों तक हम संगठित होकर सरकार शासन प्रशासन को अपनी स्थिति से अवगत करवाने का काम करने में सहयोग करें, तथा लोकतंत्र के काले काले में लोकतंत्र की रक्षार्थ आप द्वारा कृत प्रयासों तथा सरकार की ज्यादतियों का सही और स्पष्ट वर्णन स्वयं ही तैयार करवाकर हमारी समिति, केंद्र एवं प्रदेश सरकार, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक अवश्य पहुंचाने की कृपा करें। जिससे आने वाली पीढ़ियों को आपातकाल की विभीषिका से अवगत करवाया जा सके!

