देहरादून-बिहारी महासभा द्वारा शिव बाल योगी आश्रम में बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की गई। यह पूजा विद्यार्थियों के अलावा संगीत से जुड़े लोगों के लिए भी खास महत्व रखती है क्योंकि ये माना जाता है कि देवी सरस्वती संगीत की भी देवी हैं.
देशभर में बसंत पंचमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया. विद्या की देवी का यह पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है. यह त्योहार वसंत ऋतु के आने का सूचक है. देश के कई हिस्सों में इस दिन को वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. यह पूजा विद्यार्थियों के अलावा संगीत से जुड़े लोगों के लिए भी खास महत्व रखती है क्योंकि ये माना जाता है कि देवी सरस्वती संगीत की भी देवी हैं।
बसंत पंचमी के पावन अवसर पर गुरुवार को राजधानी में कई जगहों पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना पूरे हषोंल्लास के साथ की गई। सरस्वती पूजा के लिये मां सरस्वती को आकर्षक रूप से सजाया गया और महाप्रसाद के वितरण का आयोजन किया गया। गुरुवार की सुबह से ही सरस्वती पूजा की रौनक अलग अलग जगहों पर देखने को मिल रही थी। इसी क्रम में पिछले अठारह सालों की भांति इस साल भी बिहारी महासभा द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का मंचन किया गया।
27 जनवरी शुक्रवार को 11 बजे पूरे विधी विधान समेत सहस्त्र धारा स्थित मालदेवता नहर में माता की विदाई और विसर्जन किया गया। जहां बिहारी महासभा के गणमान्य सदस्यों ने धुमधाम से रंग गुलाल खेलकर माता को विदाई दी और विसर्जन सम्पन्न किया।