वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तराखंड के 91 सीमांत गांवों का हुआ चयन, बनेंगे मॉडल विलेज विलेज

Uttarakhand

देहरादून। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने आयुक्त, ग्राम्य विकास से वाइब्रेंट विलेज योजना (वीवीपी) की प्रगति रिपोर्ट विस्तृत रूप से प्राप्त की। मंत्री जोशी ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, व्यापक प्रचार-प्रसार और समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश देते हुए सीमांत गांवों के समग्र विकास पर जोर दिया। ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण, आजीविका सृजन और आबादी को रोकने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा संचालित वाइब्रेंट विलेज योजना (वीवीपी) के तहत उत्तराखण्ड राज्य में भारत-चीन एवं भारत-नेपाल सीमा से सटे कुल 91 गांवों का चयन किया गया है। योजना का उद्देश्य इन दुर्गम सीमांत गांवों को मॉडल विलेज के रूप में विकसित कर वहां के नागरिकों को बेहतर जीवन-स्तर, सुविधा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
भारत-चीन सीमा से लगे जनपदों में दृउत्तरकाशी (भटवाड़ी ब्लॉक) 10 गांव, चमोली (जोशीमठ ब्लॉक) 14 गांव, पिथौरागढ़ (मुनस्यारी 08, धारचूला 17, कनालीछीना 02 गांव) इस प्रकार कुल 51 गांवों को वीवीपी-1 के तहत चयनित किया गया है। इन गांवों में आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने, संपर्क मार्गों के निर्माण, स्थानीय संस्कृति एवं पर्यटन के प्रसार तथा आधुनिक सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा (520.13 करोड़) गृह मंत्रालय को भेजी गई थीं, जिनमें से 110 करोड़ से अधिक की धनराशि राज्य को मिल गई है।
वीवीपी-2 के अंतर्गतकृचम्पावत 11 गांव, पिथौरागढ़ दृ 24 गांव, ऊधम सिंह नगर 06 गांव। इन 40 गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों का डेटा संकलन और सत्यापन कार्य प्रगति पर है। वीवीपी के रोड कंपोनेंट के अंतर्गत पिथौरागढ़ जनपद में पीएमजीएसवाई की 5 सड़कों के निर्माण हेतु घ्119.44 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं। इससे सीमा क्षेत्रों में आवाजाही, व्यापार और रणनीतिक दृष्टि से सड़क संपर्क और अधिक सुदृढ़ होगा।
ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सीमांत गांवों के प्रति विशेष लगाव प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि “माणा को देश का अंतिम नहीं, प्रथम गांव बनाने का संदेश प्रधानमंत्री मोदी की उत्तराखंड के प्रति संवेदनशीलता दर्शाता है। मंत्री जोशी ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना राज्य के दूरस्थ गांवों में आधुनिक सुविधाएं, स्थायी आजीविका, कृषि-बागवानी, सुरक्षित वातावरण और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी। योजना के पूर्ण क्रियान्वयन से पलायन पर नियंत्रण और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह योजना उत्तराखंड के सीमांत गांवों को आत्मनिर्भर, सुरक्षित और उन्नत मॉडल विलेज में बदलने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

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